लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब वक्फ बोर्ड का गठन, आईएएस अधिकारी शौकत अहमद पारे की वापसी, विधायक डॉ. जमील उर रहमान, मोहम्मद ओवैस और अनवर धूरी के बीच चेयरमैनी की टक्कर

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चंडीगढ़ । लोकसभा चुनावों से पहले मुस्लिम वोटबैंक को लुभाने के लिए पंजाब सरकार की तरफ से पंजाब वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है। हालांकि अभी चेयरमैनी किसे मिलेकी यह नहीं बताया गया। लेकिन सीधे रुप से मलेरकोटला से विधायक डॉ. जमील, मोहम्मद ओवैस और डॉ. अनवर के बीच चेयरमैनी का मुकाबला माना जा रहा है। इसी बीच बेहतर बात यह है कि एक बार फिर से सीनियर आईएएस अधिकारी डीसी शौकत अहमद पारे को दोबारा से बोर्ड में सरकारी सदस्य के रुप में नियुक्त किया गया है। कहा जा रहा है कि उन्हें दोबारा से सीईओ की जिम्मेदारी मिल सकती है।
वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय की तरफ से नाराजगी जाहर की जा रही है कि बोर्ड का गठन नहीं करना चाहिए था। क्योंकि पिछले एक साल से एडमिनिस्ट्रेटर के रुप में एमएफ फारुकी एडीजीपी आईपीएस की तरफ से बेहतर कार्य किया जा रहा है था जिन्होंने वक्फ बोर्ड को भ्रष्टाचार मुक्त कर पंजाब भर के मुस्लिम समुदाय की मांगों को पहले के अाधार पर हल किया था। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई एतिहासिक फैसले लेते हुए मुलाजिमों की अाय दोगुणी करने, पेंशन स्कीम, पेंशन बढ़ाने और कई बड़े फैसले किए थे जिससे पंजाब सरकार की छवि में सुधार हुअा और मुस्लिम समुदाय की मांगे भी पूरी हुई। 

वक्फ बोर्ड में ज्यादातर मैंबरों की नियुक्त मलेरकोटला से की गई है जिससे पंजाब सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है। पहली बार जालंधर सहित अन्य बड़े जिलों को इग्नोर किया गया है। पंजाब के कई जिलों से सरकार के खिलाफ बगावत शुरू हो चुकी है और उम्मीद है कि पंजाब वक्फ बोर्ड के खिलाफ जालंधर सहित अन्य जिलों से प्रदर्शन हो सकता है। 

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