जालंधर, 6 जुलाई — हज़रत इमाम हुसैन और उनके वफादार साथियों की महान कुर्बानी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए जालंधर में मुहर्रम का जुलूस गहरे धार्मिक श्रद्धा और सम्मान के साथ निकाला गया। यह जुलूस बस्ती बावा खेड़ा, मॉडल हाउस, रैंक बाज़ार, मुस्लिम कॉलोनी समेत कई इलाकों से निकलकर नक़वी कॉलोनी में एकत्रित हुआ।
इस मौके पर मुस्लिम नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष सैयद याक़ूब हुसैन नक़वी, सैयद आरज़ू नक़वी, उलेमा बोर्ड के चेयरमैन अकबर अली, मस्जिद आलीशान के अध्यक्ष मोहम्मद नदीम, मस्जिद बिलाल के अध्यक्ष इर्शाद सलमानी समेत शहर के अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। सभी ने हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए उन्हें दिल से श्रद्धांजलि दी।

नक़वी कॉलोनी में आयोजित फ़ातिहा ख्वानी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अकबर अली ने कहा ” “हज़रत इमाम हुसैन की शहादत इस्लाम के इतिहास का ऐसा मोड़ है, जिसने हक़ और बातिल (सच और झूठ) के बीच एक साफ़ लकीर खींच दी। 10 मुहर्रम 61 हिजरी (680 ईस्वी) को करबला (इराक ) के मैदान में पैग़ंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद ﷺ के नवासे इमाम हुसैन ने सिर्फ़ 72 साथियों के साथ यज़ीदी फौज का सामना करते हुए जान, माल और परिवार सब कुछ कुर्बान कर दिया, लेकिन ज़ुल्म के आगे सिर नहीं झुकाया।”
इस मौके पर सैयद याक़ूब हुसैन नक़वी ने कहा: “यौमे-आशूरा सिर्फ़ ग़म और मातम का दिन नहीं, बल्कि कुर्बानी, सब्र और उसूलों पर डटे रहने का पैग़ाम भी देता है। हज़रत इमाम हुसैन ने ज़ालिम हुकूमत के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर दुनिया को यह सिखाया कि हक़ के लिए लड़ना ही असली इस्लाम है।”
मीडिया का मोबाइल छीन कर पुलिस कर्मचारी ने कवरेज करने से रोका
इस बिच वहां मौजूद एक पुलिस कर्मचारी ने मोहर्रमी जलूस की कवरेज कर रहे एक पत्रकार का मोबाइल छीन लिया और इंतेज़ामिया से बहस करने लगा जिस से प्रोग्राम में आये लोगों में रोष फैल गया और लोग वापिस घर को जाने लगे ! जिसे आप नेता अकबर अली ने समझकर शांत करवाया !
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