जालंधर :- केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ आज जालंधर में मुस्लिम समाज का आक्रोश सड़कों पर देखने को मिला। शहर के पूड़ा कॉम्प्लेक्स स्थित उपमंडल अधिकारी कार्यालय (SDM Office) के बाहर मुस्लिम संगठनों, धार्मिक नेताओं और समाजसेवियों ने एकजुट होकर जोरदार धरना प्रदर्शन किया और डिप्टी कमिश्नर के नाम ज्ञापन सौंपकर बिल को रद्द करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह बिल केवल एक कानूनी संशोधन नहीं, बल्कि मुस्लिम समाज की धार्मिक स्वतंत्रता, विरासत और वजूद पर सीधा हमला है।
“वक्फ संपत्तियों पर हमला है यह बिल” – नेताओं का आरोप
प्रदर्शन में भाग लेने वाले विभिन्न संगठनों और नेताओं ने बिल की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इससे देशभर में मौजूद वक्फ संपत्तियों—जैसे मस्जिदें, कब्रिस्तान, ईदगाहें, मदरसे और दरगाहें—की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
“यह बिल मुस्लिम समाज की धार्मिक पहचान मिटाने की साज़िश है” – मोहम्मद कलीम आज़ाद
पंजाब वक्फ बोर्ड के पूर्व सदस्य और पंजाब मुस्लिम फ्रंट के अध्यक्ष मोहम्मद कलीम आज़ाद ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल के ज़रिए सरकार मुस्लिम समाज की मस्जिदों, कब्रिस्तानों, ईदगाहों और अन्य धार्मिक स्थलों पर अधिकार जमाना चाहती है, जो न केवल संविधान के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है, बल्कि यह देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब पर भी एक बड़ा प्रहार है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह बिल वापस नहीं लिया गया तो मुस्लिम समाज इसे धरने, आंदोलन और कानूनी लड़ाई के माध्यम से हर स्तर पर चुनौती देगा।
“हमारी मस्जिदें, हमारे कब्रिस्तान, हमारी दरगाहें – ये केवल इमारतें नहीं हैं, बल्कि हमारी तहज़ीब, हमारी रूहानी पहचान का हिस्सा हैं। अगर सरकार ने यह ज़बरदस्ती की तो इसके परिणाम गंभीर होंगे,” – मोहम्मद कलीम आज़ाद।
उन्होंने अपील की कि सभी धर्मनिरपेक्ष और न्यायप्रिय नागरिक इस काले कानून के खिलाफ मुस्लिम समाज के साथ खड़े हों।
मुस्लिम संगठन पंजाब के प्रधान एडवोकेट नईम खान ने कहा –
“यह केवल जालंधर की नहीं, बल्कि पूरे भारत के मुसलमानों के हक़ और सम्मान की लड़ाई है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।”
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जिला अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद मजहर आलम मजाहिरी ने कहा –
“सरकार वक्फ की ज़मीनों पर कब्जा करने की योजना बना रही है। अगर यह बिल पास हुआ तो हमारी मस्जिदें और कब्रिस्तान भी सुरक्षित नहीं रहेंगे।”
जालंधर की मस्जिदों ने दिया एकजुट समर्थन
प्रदर्शन में मस्जिद बिलाल, मक्का मदीना मस्जिद, मदनी मस्जिद, ईदगाह मस्जिद, मस्जिद नबी, मस्जिद इमाम नासिर, बुटा मंडी मस्जिद, जनता कॉलोनी मस्जिद, स्टेट मस्जिद समेत नकोदर, करतारपुर और आदमपुर की मस्जिदों के इमामों व प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
अन्य प्रमुख उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में एडवोकेट मोहम्मद रफीक आज़ाद, जब्बार खान, मौलाना फारूक, मौलाना आसिफ, अलाउद्दीन चांद, मोहम्मद जब्बीर, मोहम्मद इकराम, वाहिद आदि शामिल थे।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें:
• वक्फ संशोधन बिल को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
• वक्फ संपत्तियों से संबंधित कोई भी नया कानून मुस्लिम समाज से सलाह लिए बिना न बनाया जाए।
• मस्जिदों, कब्रिस्तानों, दरगाहों और मदरसों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
• वक्फ संपत्तियों पर सरकार द्वारा कोई कब्जा या नियंत्रण न किया जाए।
प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन संदेश बेहद स्पष्ट था—”धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मुस्लिम समाज की पहचान से कोई समझौता नहीं होगा।”
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र अमल नहीं हुआ, तो यह आंदोलन राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर और तेज़ किया जाएगा।
इस मोके पैर पंजाब वक्फ बोर्ड पूर्व मेंबर मोहम्मद कलीम आज़ाद, अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अब्दुल बारी सलमानी ,ऑल इंडिया ओल्मा बोर्ड पंजाब चैयरमेन मोहम्मद अकबर अली, मुस्लिम संगठन पंजाब प्रधान नईम खान, एडवोकेट मोहम्मद रफीक आजाद, खांब्रा मस्जिद के प्रधान मजहर आलम, करतारपुर से अख्तर सलमानी, अयूब खान, हाजी अब्दुल सत्तार, कय्यूम ठेकेदार, सलीम अहमद, हाजी मोहम्मद अहमद, अब्दुल मन्नान खान, अब्दुल रहीम आजाद, सैयद मोहम्मद अली, मो. नसीम, मो. नईम, इकराम गुड्डू, मुफ्ती फारूक, जब्बार खान, परवेज आलम, अनवर फैमिली, हाजी जमाल बनारसी, मोहम्मद मूसा, कारी अब्दुस सुभान, सिकंदर शेख, मौलवी अबू नसर, मौलवी नौशाद।
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