Asian Games: शॉटपुट में तजिंदरपाल सिंह तूर ने लगातार दूसरी बार जीता सोना, इस स्पर्धा में भारत को 10वां स्वर्ण

- तजिंदर के बाद दूसरे स्थान पर 20.18 मीटर के बेस्ट अटेम्प्ट के साथ सऊदी अरब के मोहम्मद दोउदा तोलो दूसरे स्थान पर रहे और रजत पदक जीता। वहीं, चीन के यांग लियू ने 19.97 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। 

0
36

Jalandhar : भारत के दिग्गज एथलीट तजिंदर पाल सिंह तूर ने हांगझोऊ एशियाई खेलों में पुरुषों के शॉटपुट यानी गोला-फेंक में स्वर्ण पदक जीत लिया है। उन्होंने रविवार को 20.36 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। पुरुषों के शॉटपुट के फाइनल में छह थ्रो मिलते हैं। एथलीट्स के बेस्ट अटेम्प्ट के आधार पर पदक तय किए जाते हैं। तजिंदर के बाद दूसरे स्थान पर 20.18 मीटर के बेस्ट अटेम्प्ट के साथ सऊदी अरब के मोहम्मद दोउदा तोलो दूसरे स्थान पर रहे और रजत पदक जीता। वहीं, चीन के यांग लियू ने 19.97 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया।प्रतियोगिता में क्या हुआ?
तजिंदर ने अपने पहले और दूसरे थ्रो में फाउल किया। वहीं, उनका तीसरा थ्रो 19.51 मीटर का रहा। चौथे थ्रो में उन्होंने 20.06 मीटर फेंका। पांचवां थ्रो फाउल रहा। वहीं, पांचवीं बार में तजिंदर ने 20.36 मीटर का थ्रो किया। इस थ्रो के साथ उन्होंने स्वर्ण भी पक्का कर लिया। इस थ्रो के साथ उन्हें पता था कि उन्होंने पहला स्थान हासिल कर लिया है। दूसरे स्थान पर रहने वाले तोलो का कोई थ्रो फाउल नहीं रहा। उन्होंने पहली बार में 19.54 मीटर, दूसरा 19.56 मीटर, तीसरा 19.93 मीटर का थ्रो किया। चौथे प्रयास में उन्होंने 20.18 मीटर का थ्रो किया। पांचवें प्रयास में उन्होंने 19.47 मीटर और आखिरी प्रयास में 19.83 मीटर का थ्रो किया। 

एशियाड के पुरुषों के शॉटपुट में भारत के पदकवीर

तजिंदरपाल सिंह तूर – फोटो : सोशल मीडिया

एशियाई खेलों में पुरुषों के शॉटपुट में अब तक भारत ने कुल 20 पदक जीते हैं। इसमें 10 स्वर्ण, तीन रजत और सात कांस्य पदक शामिल हैं। 

  • 1951 एशियाई खेलों में मदन लाल, 1954 मनीला और 1958 टोक्यो एशियाई खेलों में प्रद्युमन सिंह बरार, 1966 और 1979 बैंकॉक एशियाई खेलों में जोगिंदर सिंह, 1978 बैंकॉक और 1982 दिल्ली एशियाई खेलों में बहादुर सिंह चौहान, 2002 बुसान एशियाई खेलों में बहादुर सिंह सागू और 2018 जकार्ता और 2023 हांगझोऊ एशियाई खेलों में तजिंदरपाल सिंह तूर ने स्वर्ण पदक जीते हैं।
  • 1962 जकार्ता एशियाई खेलों में दिनशॉ ईरानी, 1974 तेहरान एशियाई खेलों में बहादुर सिंह चौहान, 1998 बैंकॉक एशियाई खेलों में शक्ति सिंह ने रजत पदक जीते थे।
  • 1953 मनीला एशियाई खेलों में ईशर सिंह, 1962 जकार्ता एशियाई खेलों में जोगिंदर सिंह, 1974 तेहरान एशियाई खेलों में जुगराज सिंह, 1982 एशियाई खेलों में बलविंदर सिंह, 1990 बीजिंग एशियाई खेलों में एसडी ईशान, 2002 बुसान एशियाई खेलों में शक्ति सिंह और 2014 इंचियोन एशियाई खेलों में इंदरजीत सिंह ने कांस्य पदक जीते थे।

तजिंदर पाल सिंह तूर की कहानी
बता दें कि बेशक आज पूरी दुनिया इन्हें एक एथलीट के रूप में जानने लगी है, लेकिन तजिंदर की दिलचस्पी कभी भी शॉट पुट के खेल में आने की नहीं थी। उन्हें मैदान में उतरा जरूर था, लेकिन किसी और खेल के साथ। तजिंदर पाल सिंह उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब 2017 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्हें रजत पदक मिला था।

पंजाब के एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले तजिंदरपाल सिंह तूर बचपन में एक क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पिता के कहने पर उन्होंने शॉटपुट खेलना शुरू किया और ये उनकी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय साबित हुआ। युवा तजिंदर को इसमें काफी सफलता मिली। हालांकि इस खेल में आने से पहले उन्हें कड़ी चुनौतियां का सामना भी करना पड़ा।

इस खेल के लिए जिम, उच्च क्वालिटी के सप्लीमेंट्स और महंगे जूतों की जरूरत होती है। हालांकि एक सामान्य किसान का बेटा होने के नाते इतना कुछ कर पाना आसान नहीं था। ऊपर से उनके पिता कैंसर पीड़ित भी थे। इसके बावजूद उन्होंने अपना कदम पीछे नहीं खींचा। तेजिंदर की उपलब्धियों को देखते हुए इस मुश्किल की घड़ी में भारतीय नौसेना ने उनकी मदद की। नौसेना ने उन्हें न सिर्फ नौकरी दी बल्कि उनके पिता के इलाज का खर्च भी उठाया।

कैसे खेला जाता है शॉटपुट?
शॉटपुट में प्रतिभागियों को जहां तक संभव हो, एक धातु की गेंद (हैमर थ्रो के समान ही नियम, जिसमें प्रतिभागी का चक्कर लगाने वाला गोला भी शामिल है) को फेंकना नहीं, ‘पुट’ करना होता है। शॉट किसी भी तरह छह मौकों के दौरान एथलीट के कंधों की रेखा से नीचे नहीं गिरना चाहिए और एक चिह्नित 35-डिग्री क्षेत्र के अंदर ही लैंड होना चाहिए।

Share this content:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here