शहर में कमजोर पड़े अकाली दल को बसपा का सहारा, 2 साल से लगातार कमजोर हो रहा अकाली दल का शहरी जत्था

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Jalandhar

जालंधर लोकसभा उप-चुनावों में इस बार मुकाबला कांग्रेस-अाप-अकाली/बसपा और भाजपा के बीच बंटा है। पहली बार जालंधर में बाय इलेक्शन हो रहा है और हर पार्टी अपनी जीत का दावा कर रही है, लेकिन इन सब में शहर के अंदर अकाली दल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है, जिसकी भरपाई के लिए खुद सुखबीर बादल सहित कई बड़े नेताओं ने लोगों के साथ मीटिंग है। सूबे की सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल को अपना वोट कैडर बरकरार रखना बड़ा चैलेंज साबित होगा। जालंधर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की तरफ से सबसे ज्यादा सेंधमारी अकाली दल में ही की गई है जिन्होंने अकाली दल के दो मौजूदा हल्का प्रधानों को पार्टी में शामिल करवाया है, जिसके बाद अकाली दल के चार शहरी सीटों पर हलका प्रधान ही नहीं है। अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक जगबीर बराड़ और चंदन ग्रेवाल से लेकर कई पार्षद, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर, पूर्व डिप्टी मेयर सहित कई पार्टी पदाधिकारी अकाली दल को छोड़ चुके है। जिला शहर की अकाली जत्था के लगातार कमजोर होने पर शहरी प्रधान जत्थेदार कुलवंत सिंह मंन्नण पर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं पार्टी के सीनियर पदाधिकारी बताते हैं कि वह एक संस्था से जुड़े होने के चलते लोगों के धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों से दूर रहते हैं वहीं अकाली दल की सीनियर लीडरशिप का शहर की तरफ ध्यान ना देना भी पार्टी की कमजोरी का एक बड़ा कारण रहा है। पार्टी के अंदर भी कुलवंत सिंह मन्नण को लेकर बगावती सुर इस चुनाव के बाद खड़े होने की उम्मीद है।

  • अकाली दल को छोड़ने वाले नेता
    चंदन ग्रेवाल, पूर्व विधायक जगबीर बराड़, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत भाटिया, पूर्व पार्षद मनजीत सिंह टीटू, पूर्व पार्षद बलबीर बिट्टू, कुलदीप लुबाना, गुरदेव सिंह गोल्डी भाटिया, साहिब सिंह ढिल्लों, सौदागर औजला, पूर्व डिप्टी मेयर प्रवेश तांगड़ी, पूर्व पार्षद गुरबाज टक्कर, सुभाष सोंधी, ललित कुमार यादव, पूर्व पार्षद जसपाल कौर भाटिया, विधानसभा चुनावों में सर्बजीत मक्कड़ छोड़ चुके है।

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